जब भारत में केवल विदेशी कार कंपनियों का बोलबाला था। धीरे-धीरे देश विकास की ओर अग्रसर हुआ
फिर महिंद्रा-टाटा जैसी देसी कार कंपनियों ने अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी। मौजूदा समय में देसी कार निर्माताओं ने केलव अच्छा-खासा नाम कमाया है,
बल्कि नई तकनीकि के साथ कई कार मॉडल पेश किए हैं। अपने इस लेख में हम Mahindra के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।
भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक ये कंपनी, पिछले तीन दशकों से अधिक समय से ऑटोमोबाइल उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी रही है।
कंपनी ने कैसे अपनी विली जीप के उत्पादन से लेकर थार, एक्सयूवी 700 और स्कॉर्पियो एन जैसे मॉडल्स तक का सफर तय किया, आइए जानते हैं।
कंपनी ने साल 1940 में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के अंदप प्रवेश किया था। उस समय कंपनी ने यूएस बेस्ड...
Willys-Overland Corporation से लाइसेंस लेकर विली जीप का उत्पादन शुरु किया था।
Mahindra and Mahindra भारत में सबसे पहले 4X4 इंजन विकल्प के साथ एसयूवी कार पेश करने वाली कंपनियों में से एक है।
धीरे-धीरे विकास के पहिए पर अग्रसर महिंद्रा 1970-80 के समय में भारत की सबसे ज्यादा यूटिलिटी व्हीकल्स निर्माता कंपनी बन गई।
साल 1990 के दौरान देश में उदारवादी दौर की शुरुआत हो गई थी और कई विदेशी कंपनियों को भारत में स्थापित किया जा रहा था।
Mahindra को कड़ी टक्कर मिली और कंपनी का मार्कट शेयर बहुत कम हो गया। कंपनी ने जल्द ही इस समस्या से पार भी पा लिया।
20 वीं सदी में Mahindra and Mahindra ने नई तकनीक और R&D के बदौलत एक से बढ़कर एक जबरदस्त प्रोडक्ट पेश किए।
जैसे स्कॉर्पियो और बोलेरो जैसे सफल मॉडलों की शुरूआत ने बाजार में महिंद्रा की स्थिति को मजबूत किया है।
साथ ही कंपनी ने ऑटोमोबाइल सहित अन्य क्षेत्रों में विस्तार किया और 70 से अधिक देशों में एक अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति स्थापित की है।
महिंद्रा की सफलता का श्रेय बाजार की बदलती स्थितियों के अनुकूल ढलने और अत्याधुनिक तकनीक में निवेश करने की इसकी क्षमता को दिया जा सकता है।