चैटजीपीटी को लेकर अलग-अलग देशों का अलग-अलग मत है। कहीं चैटजीपीटी में नए सुधार की जरूरत समझी जा रही है तो कहीं इस पर पाबंदी भी लगा दी गई है।

बहुत से देशों में यह टेक्नोलॉजी पहुंची ही नहीं है।यह टेक की दुनिया ही नहीं, इंटरनेट की दुनिया के लिए भी एक आकर्षण बनी।

यह चैटबॉट एक फास्टेस्ट ग्रोइंग सर्विस के साथ शुरुआती महीनों में ही करोड़ों यूजर्स को लुभाने में कामियाब रहा। हालांकि, एक वर्ग ऐसा भी है जो इस टेक्नोलॉजी से जुड़ी दूसरी परेशानियों को लेकर चिंतित हैं।

हालांकि, एक वर्ग ऐसा भी है जो इस टेक्नोलॉजी से जुड़ी दूसरी परेशानियों को लेकर चिंतित हैं।

सबसे पहले भारत की बात करें तो सरकार एआई टेक्नोलॉजी का जिम्मेदारी से इस्तेमाल हो, इसके लिए प्लान बना रही है। देश में इस टेक्नोलॉजी पर बैन लगाने जैसी कोई चर्चा नहीं है।

एक सही तरीके से इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो, इस पर सरकार का ध्यान केंद्रित रहेगा।

इटली की बात करें तो यहां चैटजीपीटी को बैन कर दिया गया है। यहां नेशनल डेटा एजेंसी ने सुरक्षा कारणों के मध्यनजर एआई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है।

इटली की तर्ज पर फ्रांस भी चैटजीपीटी पर बारिकी से नजर बनाए हुए है। वर्तमान में फ्रांस में चैटजीपीटी के इस्तेमाल पर पाबंदी तो नहीं है 

एआई टेक्नोलॉजी पर पाबंदी लगाने की तैयारियों में है। यहां भी एआई आधारित टेक्नोलॉजी पर बारिक नजर रखी जा रही है।

समाज में गलत जानकारियों को फैलने से रोकने के लिए कुछ नियमों की जरूरत समझी जा रही है।अमेरिका की बात करें तो चैटजीपीटी को लाने वाली कंपनी ओपनएआई अमेरिका की ही

ऐसे में यूएस सरकार का ध्यान एआई टेक्नोलॉजी को बेहतर बनाने और खामियों को दूर कर एक जिम्मेदार इकोसिस्टम को स्थापित करना है।

दुनिया भर में ऐसे भी कई देश मौजूद हैं, जहां चैटजीपीटी जैसी टेक्नोलॉजी पहुंची ही नहीं है। इनमें रूस, यूक्रेन, मिस्र, नॉर्थ कोरिया, क्यूबा और ईरान जैसे देश शामिल हैं।

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ऐरो