यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया के दो सबसे बड़े तेल खरीददार देश भारत और चीन ने रूस से काफी ज्यादा कच्चे तेल की खरीद शुरु कर दी है।
देशों के संगठन ओपेक ने अचानक ही एक बड़ा फैसला करते हुए कच्चे तेल के वैश्विक उत्पादन में तकरीबन 11.6 लाख बैरल रोजाना की कटौती करने का फैसला किया है।
एक बार फिर तेजी का रुख बन गया है। पिछले माह 75 डॉलर प्रति ।
बैरल के स्तर पर पहुंच चुका कच्चा तेल अब फिर से 84-85 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। (एमपीसी) के फैसले पर भी असर दिखा सकता है।
आरबीआइ गवर्नर की अध्यक्षता में एमपीसी की बैठक सोमवार को शुरु हुई है इनके फैसले की घोषणा गुरुवार (06 अप्रैल, 2023) को होगी।
यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया के दो सबसे बड़े तेल खरीददार देश भारत और चीन ने रूस से काफी ज्यादा कच्चे तेल की खरीद शुरु कर दी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जुलाई, 2022 के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में लगातार नरमी का रुख देखा गया है।
भारत की खरीद मूल्य को देखें तो जून, 2022 में यह 116.09 डॉलर प्रति बैरल था
बाद जुलाई में 105.49 डॉलर, अगस्त में 97.4 डॉलर, सितंबर में 90.71, अक्टूबर में 91.7 डॉलर, नवंबर में 87.55, दिसंबर में 78.1, जनवरी, 2023 में 80.92 डॉलर, फरवरी, 2023 में 82.28 डॉलर और मार्च में 78.5 डॉलर प्रति बैरल रहा है।
उत्पादन में यह कटौती मई, 2023 से लागू होगी और पूरे वर्ष जारी रहेगी।क्रूड की कीमत में एक डॉलर की वृद्धि होती है तो घरेलू बाजार में पेट्रोल की खुदरा कीमत में 50 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 40 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हो सकती है।
कंपनियों ने पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में 06 अप्रैल, 2022 के बाद से कोई बदलाव नहीं किया है।
पिछले हफ्ते तेल कंपनियों ने कमर्शियल एलपीजी और एटीएफ की कीमतों में कटौती की थी। इससे दूसरे पेट्रो उत्पादों की खुदरा कीमतों में भी कमी होने की संभावना बनी थी।